जन्म प्रमाण पत्र के लिए भटक रहे अभिभावक,
बालाघाट जिला अस्पताल की लापरवाही से बच्चों को नहीं मिल पाया आरटीई में प्रवेश
डिजिटाइज करे, समयबद्ध करे और त्रुटि सुधार के लिए एक सीधा और सरल विकल्प उपलब्ध कराए
बालाघाट। गोंडवाना समय।
बालाघाट जिला अस्पताल में जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं के माता-पिता को जन्म प्रमाण पत्र प्राप्त करने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। समय पर प्रमाण पत्र न मिलने के कारण कई अभिभावक आरटीई (नि:शुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम) के अंतर्गत अपने बच्चों का स्कूलों में प्रवेश तक नहीं करा पाए।
स्थानीय नागरिकों की मानें तो जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन देने के बाद भी कई हफ्तों तक इंतजार करना पड़ता है। वहीं, यदि प्रमाण पत्र में नाम, सरनेम या अन्य जानकारी में कोई त्रुटि हो जाती है, तो सुधार के लिए 15 दिन से लेकर 1 महीने तक का समय लगाया जा रहा है।
इसके चलते गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। यह स्थिति सिर्फ एक परिवार की नहीं, सैकड़ों परिवारों की पीड़ा है, जिन्हें अधिकारियों की लापरवाही और प्रणाली की सुस्ती का शिकार होना पड़ रहा है।
क्या अधिकारी चाहते हैं कि कागजों की देरी के कारण एक पीढ़ी शिक्षा से वंचित रह जाए ?
जन्म प्रमाण पत्र केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि यह किसी नागरिक के अस्तित्व का आधिकारिक प्रमाण होता है। लेकिन अफसोस की बात है कि बालाघाट जिला अस्पताल और संबंधित प्रशासनिक इकाइयों की लापरवाही इसे आम जनता के लिए कष्ट और अपमान का प्रमाण पत्र बना रही है।
समय पर दस्तावेज न मिल पाने से आरटीई के तहत वंचित वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा का मौलिक अधिकार भी छिन जाता है। क्या अधिकारी चाहते हैं कि कागजों की देरी के कारण एक पीढ़ी शिक्षा से वंचित रह जाए? प्रशासन को चाहिए कि वह जन्म प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को डिजिटाइज करे, समयबद्ध करे, और त्रुटि सुधार के लिए एक सीधा और सरल विकल्प उपलब्ध कराए।
गोंडवाना समय की अपील है कि इस गंभीर मुद्दे पर जिला कलेक्टर और सीएमएचओ तुरंत संज्ञान लें, ताकि नागरिकों की परेशानी कम हो और बच्चों का भविष्य सुरक्षित रह सके।