1 लाख की सेलरी लेते हो और हमें 20 हजार में मना रहे हो साहब, आदिवासियों के ऊलगुलान से गूंजा खातेगांव
देवास जिले में वन भूमि पर खेती कर रहे आदिवासियों को न हटाने की मांग
आदिवासी समाज को रामदेव काकोड़िया जैसे युवा क्रांतिकारी नेतृत्वकर्ताओं की आवश्यकता है
देवास/खातेगांव। गोंडवाना समय।
कहते है बरसात में पक्षियों का घोंसला भी नहीं उजाड़ा जाता है लेकिन यहां जीव जंतुओं के निवास स्थल जंगलों को उजाड़ने का मिशन विकास के नाम पर जोरो से जारी है तो वहीं दूसरी ओर जंगल के सजग प्रहरी के रूप में दुनिया में अपनी विशेष पहचान रखने वाले आदिवासियों के आशियाने को भरी बरसात में उजाड़ने में संकोच भी मध्यप्रदेश सरकार के नुमार्इंदों में विशेषकर वन विभाग के द्वारा नहीं किया जा रहा है।
बरसते पानी में छतरी लेकर पहुंचे कलेक्टर सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को तो शायद यह एहसास हो ही गया होगा कि बरसात में इंसान के सर से छत या उनका आशियाना उजाड़ना महापाप है। खैर पुण्य और पाप में विश्वास करने वाले संगठन की सत्ताधीन सरकार को इससे कोई सरोकार नहीं है।
बरसात के मौसम में आदिवासियों का घर उजाड़कर उन्हें दर्द व तकलीफ देने के बाद अब उन्हें 20 हजार रूपये और अनाज राशन पानी, आवास आदि सरकारी सहायता का लालच की दवा देकर मरहम लगाने का काम किया जा रहा है।
आदिवासियों में सरकार के प्रति अत्याधिक नाराजगी है
मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार के राजपाठ में जिस तरह से देवास जिले के खिवनी अभयारण्य में बीते 23 जून 2025 को वन विभाग की अतिक्रमण हटाओ कार्रवाई को अंजाम दिया गया था उसके विरोध में 27 जून 2025 दिन शुक्रवार को देवास जिले के खातेगांव के डाक बंगला मैदान पर हजारों की संख्या में जुटे आदिवासियों ने ऊलगुलान का ऐलान कर जो आंदोलन किया उससे खातेगांव तो गूंजा ही लेकिन मध्यप्रदेश सरकार के कानों तक आवाज पहुंच गई है कि आदिवासियों में सरकार के प्रति अत्याधिक नाराजगी है।
हजारों की संख्या में एकत्र हुये आदिवासी सगाजन
देवास जिले के खातेगांव में 27 जून 2025 को हुये आंदोलन में आदिवासी समाज के सामाजिक पदाधिकारियों ने वन विभाग द्वारा की गई कार्यवाही की विरोध में मुखर आवाज उठाया। वन विभाग द्वारा अतिक्रमण हटाओं अभियान के दौरान आदिवासी परिवारों के घरों को उजाड़ने के मामले में विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिये मध्यप्रदेश के देवास, हरदा, सीहोर, खंडवा, खरगोन, धार और बैतूल सहित अन्य जिलों से भी आदिवासी समुदाय के लोग हजारों की संख्या में शामिल हुए।
आदिवासी नेताओं ने वन विभाग द्वारा की गई कार्रवाई की घोर निंदा किया। आदिवासी नेताओं ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में बना 2006 का अधिनियम अगर ईमानदारी से लागू होता तो यह स्थिति नहीं आती।
रामदेव काकोड़िया ने 20 हजार की आर्थिक सहायता को लेकर उठाये सवाल
आदिवासी की समस्याओं को लेकर सरकार, शासन, प्रशासन के खिलाफ हमेशा सक्रियता व सजग रहकर आंदोलन करने वाले रामदेव काकोड़िया जिन्हें प्रताड़ित होना पड़ा, जिला बदर जैसी कार्यवाही से भी जूझना पड़ा वहीं अपनी जान बचाने के लिये शारीरिक यातना भी झेलना पड़ा लेकिन इसके बाद भी आदिवासियों के लिये रामदेव काकोड़िया फिर मैदान में नजर आ रहे है। आदिवासी समाज को रामदेव काकोड़िया जैसे युवा नेतृत्वकर्ताओं की आवश्यकता है। रामदेव काकोड़िया ने आंदोलन के दौरान स्पष्ट शब्दों में कहा कि पीड़ित परिवारों को दी जा रही 20 हजार की आर्थिक सहायता अपर्याप्त है।
विस्थापित लोगों को उसी स्थान पर टीन शेड का निर्माण की मांग
खातेगांव में आदिवासियों के हक अधिकार को आयोजित आंदोलन में आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगों में विस्थापित लोगों को उसी स्थान पर टीन शेड का निर्माण, खिवनी से पटरानी तक सड़क निर्माण, छूटे हुए प्रभावित परिवारों को सूची में शामिल करना और प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाना शामिल है। इसके साथ ही कार्रवाई में शामिल अधिकारियों पर कार्रवाई और देवास जिले में वन भूमि पर खेती कर रहे आदिवासियों को न हटाने की मांग की गई।
हजारों की संख्या में उपस्थित आदिवासियों ने निकाली रैली
सभा के बाद अजनास रोड, तीन बत्ती चौराहा होते हुए रैली निकाली गई, जो वापस डाक बंगला मैदान पहुंची। रैली के बाद एडीएम बिहारी सिंह ने आंदोलनकतार्ओं से चर्चा की। मांगों के ज्ञापन का लिखित जवाब दिया। उन्होंने कहा जिन भी प्रभावित लोगों के मकान तोड़े गए हैं, उन सभी प्रभावित परिवारों को टिन शेड का निर्माण कर दिया जाएगा। पटरानी से खिवनी खुर्द तक सड़क निर्माण एवं नदी पर पुलिया बनाई जाएगी। लोगों से पूछताछ के बाद जिन लोगों की मकान तोड़े गए हैं, उनकी वास्तविक सूची तैयार की जाएगी।
प्रभावित परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा। सभी प्रभावित परिवार, जिनके प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान नहीं बनाए गए हैं, उन सभी की सूची बनाई जाएगी। आवास योजना के तहत कुटी प्रदान की जाएगी। वन विभाग के जो भी अधिकारी इस कार्रवाई में शामिल हुए उन पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। देवास जिले के भीतर जितने भी आदिवासी परिवार के लोग वर्तमान में वन भूमि पर खेती कर रहे, उन सभी के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर सरकार के पास भेजी जाएगी।
बरसात में तोड़े गये 55 कच्चे घर
दरअसल, 23 जून को वन अमले ने खिवनी अभयारण्य में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की थी। इसके बाद वन विभाग ने प्रेस नोट जारी कर बताया था कि करीब 82 हेक्टेयर जमीन से अतिक्रमण हटाया गया है। अधिकारियों का कहना था कि इसके लिए एक माह पहले नोटिस जारी किए गए थे। वहीं पीड़ितों का कहना है कि बरसात के सीजन के बावजूद करीब 55 कच्चे घरों को तोड़ दिया गया। राशन और पशुओं का चारा खराब हो गया। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आया था।