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आदिवासी की जमीन किरार ठाकुर परिवार के सदस्यों के नाम कैसे चढ़ गई

आदिवासी की जमीन किरार ठाकुर परिवार के सदस्यों के नाम कैसे चढ़ गई 

सिंघोड़ी ग्राम कान्हीवाड़ा थाना व रा.नि.मं. भोमा का है मामला 

भूमिहीन हो गया आदिवासी परिवार की जमीन कौन दिलायेगा वापस 

सिवनी। गोंडवाना समय। 

आदिवासियों की जमीन को खुर्द-बुर्द कर कब्जा के आधार पर एवं बिना विक्रय के ही गैर आदिवासियों के नाम पर चढ़ाने का सुरक्षित व संरक्षित जिला के रूप में सिवनी जिले को जाना जाता है। राजस्व विभाग आदिवासियों की जमीनों को गैर आदिवासियों की नाम पर चढ़ाने और करवाने के लिये विशेष भूमिका निभा रहा है।
            


राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली के कारण आदिवासी समुदाय के सदस्य कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने को मजबूर है। सिवनी जिले के बण्डोल रा नि मं. अंतर्गत ग्राम बीसावाड़ी में आदिवासी किसान परिवार की लगभग 26 एकड़ भूमि कब्जा के आधार पर ही गैर आदिवासी के नाम पर चढ़ गई और आदिवासी परिवार भूमिहीन होकर आज भी दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है।

वर्ष 1917 से 1937 से लेकर वर्ष 1984-85 के रिकार्ड में आदिवासी के नाम पर दर्ज है 

इसी तरह ग्राम सिंघोड़ी प.ह.नं. 56 रा.नि.मं. भोमा, पुलिस थाना कान्हीवाड़ा, तहसील सिवनी में भी लगभग 15 एकड़ आदिवासी परिवार की जमीन किरार ठाकुर समाज के सदस्यों के नाम पर चढ़ गई है जिस पर किरार ठाकुर समाज के सदस्यों ने कब्जा भी कर लिया है।
            जबकि भू राजस्व अभिलेखों के रिकार्ड के अनुसार आदिवासी परिवार के सदस्य पंचमलाल तेकाम सिंघोड़ी निवासी के पूरखों का वर्ष 1917 से 1937 से लेकर वर्ष 1984-85 के रिकार्ड में दर्ज है। जिसकी पावती में वर्ष 2010-2011 तक खाद-बीज व ऋण आदि भी आदिवासी किसान पंचमलाल तेकाम के परिवार के द्वारा लिया गया है। इसके बाद भी कौन सी जादूई छड़ी घुमाकर राजस्व विभाग ने आदिवासी की जमीन को गैर आदिवासी के नाम दर्ज कर दिया है। 

अब रजनीकांत, ऋषीकांत, श्रद्धा, सतेन्द्र, शीला बाई, राजकुमार, सरिता का आ रहा नाम 

पीड़ित पंचमलाल तेकाम ने बताया कि प.ह.नं. 56 ग्राम सिंघोड़ी रा.नि.मं. भोमा के अंतर्गत उनकी पुस्तैनी जमीन लगभग 15 एकड़ सहित बाड़ी भी है। जिसमें वर्ष 1917 से 1937 के रिकार्ड में उनके परदादा बहादुर वल्द नान्हो गोंड ग्राम सिंघोड़ी का नाम दर्ज था।
                वहीं उसके बाद उनके पुत्र यानि दादा धानू गोंड पिता नान्हों गोंड के नाम पर दर्ज थी। वहीं वर्ष 1984-85 के रिकार्ड में हमारे पिता व चाचा साखन, बाबूलाल उर्फ किसनलाल वल्द धानू गोंड के नाम पर दर्ज थी। आदिवासी किसान पंचमलाल तेकाम ने बताया कि हमारी पुरखों की पुश्तैनी जमीन पर अब रजनीकांत, ऋषीकांत, श्रद्धा, सतेन्द्र, शीला बाई, राजकुमार, सरिता जो कि किरार ठाकुर का नाम आ रहा है। 

भूमिहीन आदिवासी किसान अब तहसील, कोर्ट, कचहरी के चक्कर काटने को है मजबूर 

इस संबंध में आदिवासी किसान राजस्व न्यायालय की चौखटों पर माथा रगड़कर और चप्पल घिस कर परेशान हो चुका है। आदिवासी किसान से ही राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी रिकार्ड की मांग कर रहे है। जैसे कि राजस्व रिकार्ड बनाने का काम आदिवासी किसान पंचमलाल तेकाम का परिवार करता आया है।
                वर्ष 1917 से राजस्व रिकार्ड में आदिवासी किसान पंचमलाल तेकाम के परिवारजनों का नाम था लेकिन वर्तमान की स्थिति में गैर आदिवासी का नाम राजस्व रिकार्ड में आ रहा है। इस मामले में भूमिहीन हो चुका आदिवासी किसान अब राजस्व न्यायालय और राजस्व विभाग के अधिकारियों की जी हूजुरी करने के साथ साथ तसहील कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने को मजबूर है। 

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