के जी सेंगर की छपारा तहसील से फिर शिक्षा मूल पद पर हुई वापसी
छपारा तहसील कार्यालय में फिर पदस्थ होने लगे रहे जुगाड़
सिवनी। गोंडवाना समय।
आदिवासी बाहुल्य जिला सिवनी में सभी विभागों में स्थानांतरण की सूची जारी हो रही है वहीं संलग्नीकरण के तहत अपने मूल पद को छोड़कर वर्षों से नियम विरूद्ध शिक्षा विभाग से राजस्व कार्यालय तहसील कार्यालय में सेवा दे रहे के जी सेंगर को भी अपने मूल पद में वापस भेजने का फरमान जारी हो गया है।
इसके बाद भी फिर के जी सेंगर जो कि शिक्षा विभाग से ज्यादा तहसील कार्यालय में अपने हुनर से तहसील कार्यालय एवं राजस्व विभाग के अफसरों को खुश करने में महारथ हासिल कर चुके है अब फिर तहसील कार्यालय में वापस जाने का जुगाड़ लगा रहे है।
दो आईएएस को अपना हुनर की कला पूर्व में दिखा चुके है के जी सेंगर
इसके पहले भी शिक्षा विभाग के लिपिक श्री के जी सेंगर ने लगभग 141 दिन में अपनी वापस करके दिखाया था जब कलेक्टर डॉ राहूल हरिदास और लखनादौन के एसडीएम श्री सिद्धार्थ जैन को भी हार मानना पड़ा था। यानि शिक्षा विभाग में मूल पदस्थापना वाले के जी सेंगर के हुनर के आगे एक ही नहीं दो-दो आईएएस अफसर हार मानकर उन्हें पुन: छपारा तसहील में पदस्थ करने के लिये मजबूर हो गये थे।
इसके पीछे कारण विभागीय सूत्र बताते है कि के जी सेंगर के जैसा लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का संगीत कोई और दूसरा नहीं बजा सकता है। जिससे मंत्रमुग्ध होकर विभागीय अफसर एवं क्षेत्रिय राजनेता उन्हें शिक्षा विभाग के वजाय उन्हें तहसील कार्यालय में पदस्थ कराने की सिफारिश करते रहते है।
मूल विभाग को लेकर हैरान और परेशान है राजस्व के अफसर
हालांकि के जी सेंगर का मूल विभाग क्या है, वह कौन से विभाग में पदस्थ है, इसको लेकर अक्सर राजस्व विभाग के अफसर भी हैरान व परेशान होते रहते है क्योंकि जनजातिय विभाग के अंतर्गत अधिकारी कर्मचारी कहते है कि के जी सेंगर हमारे यहां पदस्थ नहीं है।
जबकि के जी सेंगर आदिवासी विकासखंड छपारा में पदस्थ है। कुछ लोग तो यह भी कहते है कि के जी सेंगर शिक्षा विभाग में पदस्थ है, वहीं कुछ लोग जिला शिक्षा मिशन में पदस्थ होने की चर्चा करते है। प्रशासनिक पारदर्शिता के अभाव में छपारा विकासखंड की जनता अनभिज्ञ है। हालांकि अब फिर से छपारा तहसील कार्यालय से शिक्षा विभाग में के जी सेंगर की वापसी हो गई है।
आदिवासी व ग्रामीणजनों को मिली राहत
आदिवासी विकासखंड छपारा तहसील के अंतर्गत तहसील कार्यालय में जो कार्य के जी सेंगर संभालते है उससे संबंधित पक्षकार या ग्रामीणजन विशेषकर आदिवासी सगाजन अत्याधिक प्रताड़ित व परेशान रहते है। के जी सेंगर की कार्यप्रणाली के चलते उनके कार्य समय पर नहीं हो पाते है।
वहीं प्रत्येक कार्याें की फाईल और कागजात के जी सेंगर साहब लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का संगीत की धुन सुनने के बाद ही आगे बढ़ाते है अन्यथा उन्हें पक्षकारों व ग्रामीणों की आवाज भी उन्हें सुनाई नहीं देती है। छपारा तहसील कार्यालय से के जी सेंगर की वापसी की खबर सुनने के बाद आदिवासियों व ग्रामीणों ने राहत की सांस लिया है लेकिन के जी सेंगर पुन: फिर छपारा तहसील में वापस होने के लिये तगड़ा जुगाड़ लगा रहे है ताकि लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का संगीत छपारा तहसील में फिर से बजता रहे।

